(पवन सिंह)
बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री ने ऐसा क्या कह दिया जो निंदा का सबब बन गया!!! …ओह! घोर आश्चर्य है कि वह निंदा बहादुर, निंदा करने आ गये जो आठ किलोमीटर तक नग्न और सामूहिक रेप का शिकार चलती हुई एक बच्ची के लिए अपने घर के दरवाजे तक न खोल पाये….निंदा वो समाज और उसके ठेकेदार कर रहे हैं जो पांच साल की बच्चियों से लेकर 75 साल की बुजुर्ग महिला के साथ हुए रेप पर खामोश हो जाते हैं….. निंदा समाज इतना संवेदनशील हो चुका है कि गुजरात के सामूहिक बलात्कारियों के रिहा हो जाने पर मौन हो जाता है। मौन तक भी ठीक था लेकिन वह बलात्कारियों को भी सम्मानित करने लग जाता है और नितीश कुमार के एक बयान पर पानी-पानी होकर पानीपत बना जा रहा है……. पाखंडियों से भरे भारतीय समाज की “निंदाओं के मकानों की छतों” पर बंदरों की भांति उछलते-कूदते निंदाई वानरों की भीड़ तमाम बाबाओं की रंगरेलियों के किस्सों पर मौनव्रती हो जाया करती है…?? सेलेक्टेड और आईटी सेल प्रायोजित “निंदा आन्दोलन” भरे सदन में अनेक माननीयों द्वारा मोबाइल पर “नीली फिल्म” देखते समय अंतर्धान हो जाया करती है और अचानक अपनी सुविधानुसार चींटियों के मानिंद बिलों से बाहर आ जाया करती है….!!! भारत में पूरा एक निंदा समुदाय है जो सड़क पर जरा सी बात पर महिलाओं के “यौन अंगों” की झालर बनाकर सरे राह लटका देता है लेकिन नीतीश कुमार के एक बयान पर बरसाती नाले की तरह बहने लगता है….???
आइए आपको 28-30 साल पहले ले चलते हैं..। यौनकुंठित समाज का एक बड़ा हिस्सा भीतर से कितना “यौनिक” है इस उदाहरण से पता चल जाएगा….28-30 साल पहले रात में करीब डेढ़ बजे एक रशियन चैनल देखते-देखते ही लोकप्रिय हो चुका था….यह चैनल प्ले ब्वाय की रील्स दिखाया करता था….इस चैनल का नाम था B4U….इसे देखने के लिए तमाम वे लोग भी कलर टीवी खरीद लाये थे जो दिन के उजाले में घी की बात करते थे और रात में मोबिआयल पी जाया करते थे…..।
गुजरगाहों और चौराहों पर महिलाओं के यौनांगों की चटखारेदार चर्चा करने वाले भी निंदा कर रहे हैं…. भीड़-भाड़ में मौका तलाशने वाले भी निंदा रस उलीच रहे हैं… यत्र नारियस्तु रमंते तत्र देवता: …की नारा लगाती यह निंदाई भेंडियों की वह भीड़ है जो मौका मिलते ही नारी अस्मिता को रौंद देने में कहीं भी और कभी भी नहीं चूकती है…..वह भी नितीश कुमार से आहत होकर लहू-लुहान पड़े हैं…..निंदाई सरिता प्रवाह वाले लोग “गोबरालैंड” में कुछ ज्यादा हैं और अगर इसे NCRB के आंकड़ों के नज़रिए से देखें तो आपको निंदाईयों का चाल चरित्र और चिंतन डरा देगा….गृह मंत्रालय के अधीन कार्यरत एनसीआरबी के अनुसार 2020 में दुष्कर्म के कुल 28,046 केस दर्ज किए गए थे…..यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ा है। साथ ही किडनैपिंग और बच्चों के साथ भी अपराध बढ़ा है।
प्रदेश में हर दिन 153 महिलाएं छेड़खानी, रेप और पिटाई का सामना करती हैं। यह बात राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB के 2021 के आंकड़े कहते हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़े दर्शाते हैं कि साल 2022 में 30,957 शिकायतें मिली थीं, जो साल 2014 के बाद से सर्वाधिक हैं। उस साल 30,906 शिकायतें दर्ज की गई थीं। साल 2021 में 30 हजार से अधिक शिकायतें मिली थीं। आयोग ने एसिड एटैक (तेजाब हमले), महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध, दहेज हत्या, यौन शोषण और दुष्कर्म जैसे 24 श्रेणियों में शिकायत दर्ज की है। सर्वाधिक शिकायतें गरिमा के साथ जीने का अधिकार को लेकर दर्ज की गई हैं। इसके बाद घरेलू हिंसा (Domestic violence), दहेज उत्पीड़न (Dowry Harassment,), महिलाओं के दुर्व्यवहार (Abuse of women), छेड़खानी (Molestation), दुष्कर्म का प्रयास (Attempted rape) और दुष्कर्म का स्थान है। आधे से अधिक शिकायतें उत्तर प्रदेश (UP) की है। दिल्ली (Delhi) में कुल 1,765 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद बिहार (979), महाराष्ट्र (906) और मध्य प्रदेश (856) का स्थान है। कुल मामलों में इन पांच राज्यों की 77.9 फीसदी हिस्सेदारी है।
व्हाट्सएप पर शाह टाइम्स चैनल को फॉलो करें
पिछले साल भी 54.5 फीसदी मामले उत्तर प्रदेश (UP) के थे। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं के प्रति हिंसा के मामले में भारत जी20 देशों में तीसरे पायदान पर है। भारत में साथी द्वारा यौन शोषण का शिकार होने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी 35 फीसदी थी। यह कनाडा में सबसे अधिक 44.1 फीसदी है। सऊदी अरब 43 फीसदी के साथ दूसरे स्थान पर था। यह इटली में सबसे कम 16 फीसदी था। रा
ष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत महिलाओं के खिलाफ कुल अपराध 2019 के 3,43,177 से 4.2 फीसदी बढ़कर साल 2021 में 3,57,671 हो गए। …. इसलिए किसी नेता के बयान पर बियर के हिले हुए केन से झाग की तरह बाहर आने वाले “निंदा बहादुरों” की भीड़ अगर हर एक महिला के खिलाफ होने वाले अपराध के खिलाफ खड़ी हो जाती तो आज ये हालात नहीं होते…. निंदा बहादुरों की फौज अब तो जाति और धर्म देखकर निंदा का पारा तय करती है…हाथरस उदाहरण है… हमीरपुर में एक औरत को नंगा करके घुमाया गया और लखीमपुर में तीन सगी दलित बहनों की रेप के बाद हत्या और उसके बाद निंदा बहादुरों की चुप्पी … दरअसल यही, हमारे दोगले नहीं चौगुले संडे़ हुए समाज का सच। दुखद यह है कि समाज को सुधारने की बजाए उसे सीवेज बना दिया गया है….वाह रे निंदा बहादुरों….