त्योहारों के नाम पर मीट की दुकानें बन्द करना संविधान विरोधी कृत्य- शाहनवाज आलम

मल्टीनेशनल कंपनियों के दबाव में ऐसा करती है सरकार: शाहनवाज

लखनऊ। त्योहारों के नाम पर मीट की दुकानें बन्द करवा देना संविधान विरोधी कृत्य है। इससे इस व्यवसाय से जुड़े लोग भुखमरी के कगार पर आ जाते हैं। वहीं बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों पर कोई रोक नहीं होती। जो साबित करता है कि सरकार मीट उद्योग (meat industry) को मल्टीनेशनल कंपनियों के हवाले करना चाहती है जिसका सीधा असर गरीब दुकानदारों पर पड़ेगा। ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम (Shahnawaz Alam) ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 119 वीं कड़ी में कहीं।

शाहनवाज आलम (Shahnawaz Alam) ने कहा कि इस साल अब तक दो महीने 5 दिन तक मांस की दुकानें कावड़ व अन्य त्योहारों के कारण बन्द रहीं। जिससे सबसे ज़्यादा नुकसान गरीब दुकानदारों को हुआ। वहीं केएफसी (KFC) , मैक डोनाल्ड (McDonald’s), पिज़्ज़ा हट (Pizza Hut), डोमिनोज़ (Domino’s ) जैसी मल्टीनेशनल कंपनियों पर कोई रोक नहीं रहती है।

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महंगे होटलों और ढाबों में इनके प्रोडक्ट्स निर्बाध बिकते हैं जबकि मीट के छोटे होटल और ढाबे पुलिस बन्द करा देती है या चालान कर देती है। जो साबित करता है कि योगी सरकार इन मल्टीनेशनल कंपनियों के दबाव में उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा करती है।

उन्होंने कहा कि 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के एपी शाही (AP Shahi) और संजय हरकौली (Sanjay Harkauli) की पीठ ने अपने एक फैसले में स्पष्ट कहा है कि संविधान का आर्टिकल 21 लोगों को जीवन के अधिकार के तहत खाने-पीने की स्वतंत्रता देता है। ऐसे में अगर राज्य लोगों पर अपनी पसंद के खाने पर पाबंदी लगाता है तो यह कोर्ट की अवमानना के साथ ही संविधान विरोधी कृत्य भी है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार किन्हीं वजहों से मीट की दुकानों को कुछ समय के लिए बन्द भी करती है तो उसे दुकानदारों के नुकसान की भरपाई भी करनी चाहिए।

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