रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान लक्ष्मीकांत दीक्षित को मुख्य पुजारी के रूप में चुना गया था। उनके पूर्वजों ने नागपुर और नासिक की रियासतों में भी धार्मिक अनुष्ठान कराए थे। लक्ष्मीकांत दीक्षित पूजन पद्धति के विशेषज्ञ थे और वाराणसी के मीरघाट स्थित सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य थे।
~ Gopi Saini
Ayodhya ,(Shah Times) । अयोध्या में बने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मुख्य आचार्य और काशी के प्रकांड विद्वान पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन हो गया। उन्होंने 90 साल की उम्र में अंतिम सांस ली।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान लक्ष्मीकांत दीक्षित का प्रमुख पुजारी के रूप में चयन हुआ था। उनके पूर्वजों ने नागपुर और नासिक रियासतों में भी धार्मिक अनुष्ठान कराए था। लक्ष्मीकांत दीक्षित पूजा पद्धति में सिद्धहस्त और वाराणसी के मीरघाट स्थित सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य रहे थे।
सांगवेद महाविद्यालय में वर्षों से आचार्य रहे
मीरघाट स्थित सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य रहे लक्ष्मीकांत दीक्षित वाराणसी के विद्वानों में गिने जाते थे। काशी में यजुर्वेद के ज्ञाताओं में शुमार थे और पूजा पद्धति में भी सिद्धहस्त माने जाते थे। लक्ष्मीकांत दीक्षित ने वेद और अनुष्ठानों की दीक्षा अपने चाचा गणेश दीक्षित भट्ट से ली थी। मुहूर्त निकालने वाले गणेश्वर शास्त्री समेत कई पुरोहितों ने लक्ष्मीकांत के नेतृत्व में प्राण प्रतिष्ठा कराई थी।
लक्ष्मीकांत रामलला प्राण प्रतिष्ठा के प्रधान आचार्य रहे
अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के प्रधान अर्चक के तौर पर प्राण प्रतिष्ठा में शामिल लक्ष्मीकांत दीक्षित का परिवार कई पीढ़ियों से काशी में रहता आया है। मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के जेऊर के रहने वाले लक्ष्मीकांत दीक्षित का परिवार कई पीढ़ियों पहले काशी में आ कर बस गए। लक्ष्मीकांत दीक्षित के पूर्वजों ने नागपुर और नासिक रियासतों में भी धार्मिक अनुष्ठान कराए हैं। लक्ष्मी कांत दीक्षित के बेटे सुनील दीक्षित ने बताया कि उनके पूर्वजों ने ही शिवजी महाराज का राज्याभिषेक कराया था।