मुसलमान शरीयत में कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकता : मौलाना अरशद मदनी

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मौलाना अरशद मदनी ने कहा बिहार से लेकर आंध्र प्रदेश तक देश के मुसलमान ऐसे किसी भी बिल के खिलाफ होंगे जो वक़्फ़ बोर्ड संपत्ति की सुरक्षा की गारंटी नहीं देता।

नई दिल्ली,(Shah Times) । जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष हजरत मौलाना अरशद मदनी ने आज वक़्फ़ बोर्ड के संसद में प्रस्तुत नए संशोधित बिल पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इन संशोधनों द्वारा सरकार वक़्फ़ की संपत्तियों की स्थिति और स्वभाव को बदल देना चाहती है ताकि उन पर क़ब्ज़ा करना आसान हो जाए। नया संशोधन पारित हो जाने पर एक कलक्टर राज अस्तित्व में आएगा और यह फैसला करना कि कौन सी संपत्ति वक़्फ है और कौनसी वक़्फ़ नहीं है, वक़्फ़ ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम नहीं होगा बल्कि स्वामित्व के सिलसिले में कलक्टर का फैसला अंतिम होगा।

पहले यह अधिकार वक़्फ़ ट्रिब्यूनल को था, वक़्फ़ एक्ट में प्रस्तावित संशोधन भारतीय संविधान द्वारा प्राप्त धार्मिक स्वतंत्रता के भी खिलाफ है जो भारतीय संविधान की धारा 14, 15 अ और 25 का उल्लंघन है। संशोधन न्यायिक स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी और यह संशोधन पक्षपात करने वाला भी है जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।

वक़्फ़ मुसलमानों के महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्यों में शामिल है। वक़्फ़ ट्रिब्यूनल समाप्त करके कलक्टर के पास अधिकार दिए जाने से भारत की न्यायिक स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी और कलक्टर राज का आरंभ होगा। वक़्फ़ द्वारा प्राप्त होने वाले धन को सरकार मुसलमानों में वितरित करेगी, सरकार का यह फैसला धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप है जो मुसलमानों को स्वीकार नहीं है।

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह हिंदू-मुस्लिम का मामला नहीं है बल्कि देश के संविधान, नियम और धर्मनिरपेक्षता का मुद्दा है, यह बिल हमारी धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि जब से यह सरकार आई है विभिन्न हथकंडों और बहानों से मुसलमानों को अराजकता और भय में रखने के लिए ऐसे-ऐसे नए कानून ला रही है जिससे हमारे धार्मिक मामलों में खुला हस्तक्षेप होता है, हालांकि सरकार यह बात भलीभांति जानती है कि मुसलमान हर नुक़सान सह सकता है, लेकिन अपनी शरीयत में कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकता।

मौलाना मदनी ने स्पष्ट किया कि यह एक प्रकार से मुसलमानों को दिए गए संवैधानिक अधिकारों में खुला हस्तक्षेप है। संविधान ने हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता के साथ-साथ अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने का पूरा अधिकार भी दिया है और वर्तमान सरकार संविधान द्वारा मुसलमानों को दी गई इस धार्मिक स्वतंत्रता को छीन लेना चाहती है। मौलाना मदनी ने आगे कहा कि मुसलमानों ने जो वक़्फ़ किया है और जिस उद्देश्य से वक़्फ़ किया है, कोई भी वक़्फकर्ता की इच्छा के खिलाफ प्रयोग नहीं कर सकता है क्योंकि यह संपत्ति अल्लाह को समर्पित होती है, सरकार की नीयत खराब है, वो हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करना चाहती है और मुसलमानों की अरबों खरबों की संपत्तियों को हड़प करना चाहती है, जैसा कि उसने अतीत में चाहे वह यूसीसी का मामला हो या तलाक़ का मामला हो या नान-नफक़ा (गुज़ारा भत्ता) का मसला हो, उसने उसमें हस्तक्षेप किया है। हमें ऐसा कोई संशोधन स्वीकार नहीं जो वक़्फ़कर्ता की इच्छा के विपरीत हो या जो वक़्फ़ की स्थिति को बदल दे।

अब इस समय सरकार वक़्फ के नियमों में संशोधन बिल लाकर मुसलमानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रही है लेकिन जमीयत उलमा-ए-हिंद यह स्पष्ट कर देना चाहती है कि वक़्फ़ एक्ट 2013 मैं कोई ऐसा परिवर्तन जिससे वक़्फ़ संपत्तियों की स्थिति या स्वभाव बदल जाए या कमज़ोर हो जाए यह कदापि हमें स्वीकार नहीं है।

जमीयत उलमा-ए-हिंद ने हर समय वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी क़दम उठाए हैं और आज भी हम इस संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि भारत के मुसलमान सरकार की हर उस योजना के खिलाफ होंगे जो वक़्फ़ की गई संपत्तियों की सुरक्षा की गारंटी न देता हो।

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