सभी धर्मों के मानने वाले लोगों पर एक समान् कानून लागू होता है तो उससे देश मजबूत होगा
लोगों में आपसी साम्प्रदायिक सद्भाव व भाईचारा होगा पैदा
लखनऊ । बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद मायावती (Mayawati) जी ने आज यहाँ चर्चित यूनिफार्म सिविल कोड- यूसीसी (Uniform Civil Code-UCC) पर अपनी पार्टी की प्रतिक्रिया देते हुये मीडिया वार्ता में कहा कि यहाँ विशाल आबादी वाले अपने भारत देश में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी व बौद्ध आदि इन विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं, जिनके जीवन से लेकर मृत्यू तक हर मामले में रहन-सहन व जीवन शैली आदि के अपने अलग-अलग तौर-तरीके नियम एवं रस्म-रिवाज हैं जिसे नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ यह बात भी काफी हद तक सोचने वाली है कि यदि यहाँ सभी धर्मों के मानने वाले लोगों पर हर मामले में एक समान् कानून लागू होता है तो उससे देश कमजोर नहीं बल्कि मजबूत ही होगा।
लोगों में आपसी साम्प्रदायिक सद्भाव व भाईचारा भी पैदा होगा, यह बात भी सही है, जिसे ख़ास ध्यान में रखकर ही भारतीय संविधान की धारा-44 में एक समान् सिविल संहिता यानि कि यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) को बनाने पर प्रयास वर्णित है। उसका जिक्र किया गया है, लेकिन इसे जबरन थोपने का प्राविधान बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के संविधान में निहित नहीं है और इसके लिए जागरूकता व आम सहमति को श्रेष्ठ माना गया है, जिस पर अमल ना करके अब इसकी आड में संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति करना देशहित में सही नहीं है, जो इस समय की जा रही है, क्योंकि संविधान की धारा-44 में एक समान सिविल संहिता बनाने का प्रयास तो वर्णित है, लेकिन इसे थोपने का नहीं। इसलिए इन सब बातों को खास ध्यान में रखकर ही तब फिर बीजेपी को देश में यूसीसी को लागू करने के लिए कोई कदम उठाना चाहिये।
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इसके साथ ही, यहाँ मैं यह भी कहना चाहूँगी कि हमारी पार्टी समान सिविल संहिता यानि कि यूनिफार्म सिविल कोड को लागू करने के विरूद्ध नहीं है, बल्कि भाजपा व इनकी सरकार के इसको देश में लागू करने के तौर-तरीकों से सहमत नहीं है, जिसमें सर्वधर्म हिताय व सर्वधर्म सुखाय की नहीं बल्कि इसकी आड़ में इनकी संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति ज्यादा देखने को मिल रही है, जो उचित नहीं है।
जबकि इनको इससे ऊपर उठकर तब सरकार को इसे लागू करना चाहिये तथा ना ही इसमें कोई धार्मिक पक्षपात होना चाहिये और यदि भाजपा सरकार ऐसा कुछ करती है तब फिर हमारी पार्टी इस मामले में अपना कोई सकारात्मक रूख अपनायेगी, वरना हमारी पार्टी इसका विरोध करेगी।
जबकि देश व जनहित में सही तो यह होगा कि इस समय सरकार को अति महगाई, गरीबी, बेरोजगारी तथा शिक्षा स्वास्थ्य, सुख-शान्ति-समृद्धि जैसी बुनियादी जरूरतों के अभाव से त्रस्त व पीड़ित करोडो मेहनतकश व मजलूम देशवासियों के दुख-दर्द पर से ध्यान बांटने में समय संसाधन व ऊर्जा बर्बाद करने की बजाय उनसे मुक्ति पाने पर ध्यान देना जरूरी है। जिन इन खास समस्याओं से देश की जनता त्रस्त है, पीडित है, दुःखी है, जिसका मैंने अभी उल्लेख किया है, उन पर ध्यान केन्द्रित करना जरूरी। लेकिन सरकार का इस ओर ध्यान नही जा रहा है।
इससे ऐसा लगता है बल्कि इस बारे में आम चर्चा भी सही है कि बीजपी व इनकी सरकार अपनी इन सब कमियों पर पर्दा डालने तथा इन पर से जनता का ध्यान बांटने के लिए ही इस यूनिफार्म सिविल कोड के खास मुद्दे को गर्माया जा रहा है। और जैसाकि मैंने पहले बताया कि हमारी पार्टी यूसीसी के खिलाफ नही हे किन्तु अपने देश में रहने वाले विभिन्न धर्मों के लोगों के जन्म से लेकर मृत्यू तक अपने-अपने तौर-तरीके हैं तथा जब कोई कानून बनाया जाए तो उनकी धार्मिक परम्पराओं व भावनाओं आदि का भी जरूर ख्याल रखा जाना चाहियें । यही मेरा बीजेपी सरकार को कहना है और अब मैं इस खास सलाह के साथ ही अपनी बात यहीं समाप्त करती हूँ। धन्यवाद जय भीम व जय भारत ।