नीली रोशनी इंसान को बना रही है समय से पहले बूढ़ा

फोन के जितने फायदे हैं उससे कही ज्यादा नुकसान भी हैं। फोन से निकलने वाली नीली रोशनी आपकी त्वचा को भारी नुकसान पहुंचा रही है।

(शाह टाइम्स)। फोन के जितने फायदे हैं उससे कही ज्यादा नुकसान भी हैं। फोन से निकलने वाली नीली रोशनी आपकी त्वचा को भारी नुकसान पहुंचा रही है। एक रिसर्च की मानें तो फोन पर ज्यादा समय बिताने से पिगमेंटेशन यानि झाईं और झुर्रियों की समस्या बढ़ रही है।

आजकल मोबाइल फ़ोन हमारी लाइफ का ऐसा हिस्सा बन गया है कि मानो फोन के अलावा दुनिया ही नहीं चलेगी। सुबह उठते ही हाथ में फोन होता है और रात में सोते वक्त लोग सुकून के पल मोबाइल के साथ ही बिताते हैं। लेकिन मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल करना हमें कई तरह की बीमारियों का शिकार बना रहा है।

एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि मोबाइल फोन से निकलने वाली नीली रोशनी हमारी त्वचा को गंभीर नुकसान पहुंचा रही है। रिसर्च में पाया गया है कि मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन स्किन पर झाईं-झुर्रियां और समय से पहले त्वचा को बूढ़ा बना रही है।

विशेषज्ञों के अनुसार, एलईडी टीवी, टैबलेट और स्मार्टफोन सहित कई स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी के संपर्क में आना त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है। नीली रोशनी दृश्यमान प्रकाश स्पेक्ट्रम का हिस्सा है। सूर्य का प्रकाश इसका सबसे प्रबल स्रोत है। लेकिन इलेक्ट्रानिक उपकरण जैसे हमारे फोन, लैपटाप और टीवी भी इसे उत्सर्जित करते हैं।

नीली रोशनी से आंखों और नींद को काफी नुकसान होता है। अध्ययनों से पता चलता है कि बहुत अधिक नीली रोशनी संभावित रूप से हाइपरपिग्मेंटेशन को खराब कर सकती है। हाइपरपिग्मेंटेशन एक आम स्थिति है जो त्वचा के कुछ हिस्सों को दूसरों की तुलना में गहरा बना देती है। मेलेनिन के अत्यधिक उत्पादन के कारण त्वचा पर काले धब्बे हो जाते हैं। नीली रोशनी से झुर्रियों को भी खतरा है। ज्यादा देर तक मोबाइल फोन, लैपटॉप, कंप्यूटर का उपयोग करने से आंखों के नीचे काले घेरे बन जाते हैं। जो त्वचा से संबंधित के समस्या है।

कुछ रिसर्च से पता चलता है कि नीली रोशनी कोलेजन को नुकसान पहुंचा सकती है, जो त्वचा की संरचना के लिए आवश्यक प्रोटीन है, जो संभावित रूप से झुर्रियों के गठन को तेज कर सकता है। आप अपने फोन को त्वचा से 10 सेमी से अधिक दूर रखते हैं, तो इससे जोखिम 100 गुना कम हो जाएगा। नीली रोशनी नींद में खलल डाल सकती है, जिससे त्वचा प्रभावित हो सकती है। इससे आंखों के आसपास की त्वचा सुस्त या सूजी हुई दिख सकती है।

आपको बता दें कि स्क्रीन सामग्री की उत्तेजक प्रकृति नींद में और बाधा डालती है। लंबे समय तक नींद की समस्या, मुंहासे, एक्जिमा और रोसैसिया जैसी त्वचा की मौजूदा स्थितियों को भी खराब कर सकती है। नींद की कमी कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ा सकती है, एक तनाव हार्मोन जो कोलेजन को तोड़ता है और त्वचा की मजबूती के लिए जरूरी प्रोटीन है।

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