अनुसूचित जाति व जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश भर के विभिन्न संगठनों ने 21 अगस्त को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है।
शाह टाइम्स। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित संगठनों ने (20 अगस्त) को मोर्चा खोल दिया है। इसे लेकर 21 अगस्त यानी कल भारत बंद का ऐलान किया है। जिसको अब बड़े स्तर पर समर्थन मिल रहा है। दरअसल, दलितों की सबसे बड़ी पार्टी बहुजन समाज पार्टी ने भी बड़े स्तर पर इस बंद का समर्थन किया है। BSP सुप्रीमो मायावती की पार्टी पहली बार भारत बंद के समर्थन में सड़क पर दिखाई देगी। इसके लिए पार्टी की ओर से छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं को ‘भारत बंद’ का हिस्सा बनने के लिए कहा गया है। इस दौरान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भारत बंद काफी ट्रेंड कर रहा है।
मायावती ने बदली रणनीति
आपको बता दें कि बसपा ने आंदोलनों के जरिए सड़क की राजनीति नहीं की। कांशीराम के समय से ही बसपा की राजनीति सत्ता के जरिए अपने लोगों की सेवा करने की रही है। बसपा का कैडर चुपचाप साइलेंट तरीके से अपने दलितों और पिछड़ों में पैठ बनाता रहा है। लेकिन दशकों बाद अब सुप्रीमो मायावती सड़क के जरिए अपनी राजनीति को धार देने की कोशिश में हैं।
इसके अलावा आकाश आनंद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक्स पोस्ट में लिखा है कि ‘आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ SC/ST समाज में काफी गुस्सा है। फैसले के विरोध में हमारे समाज ने 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया है। हमारा समाज शांतिप्रिय समाज है। हम सबका सहयोग करते हैं। सबके सुख-दुख में हमारा समाज शामिल होता है। लेकिन आज हमारी आजादी पर हमला किया जा रहा है। 21 अगस्त को इसका शांतिपूर्ण तरीक़े से करारा जवाब देना है।
ऐसे में बसपा 35 साल पहले 1989 में सड़कों पर दिखाई दी थी। जब बसपा ने कांशीराम के नेतृत्व में मंडल कमीशन को लागू करने की मांग को लेकर बोट क्लब में बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था। इसके बाद साल 2016-17 में भी बसपा ने सड़कों पर एक बड़ा प्रदर्शन किया था जब बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर विवादित टिप्पणी की थी। तब पूरी बसपा सड़कों पर उतर आई थी। खुद मायावती ने लखनऊ में एक सभा की थी।