सियासत में आज भी गर्म है बाबरी मस्जिद और राम मंदिर मुद्दा

लोकतंत्र पर एक कलंक की तरह है 6 दिसंबर !

शाहवेज खान

मेरठ । तारीखों के इतिहास में एक बार फिर जैसे ही 6 दिसंबर आई तो दुनिया के जेहन और दिलो में  बाबरी मस्जिद विध्वंस याद आया,1992 में अयोध्या में हुए इस कांड ने जहा भारत के लोकतंत्र पर कलंक लगाया था वहि इस कलंक के दाग आज भी साफ दिखाई देते है, कोर्ट ने  इस विवाद को हल करने में जहा सत्ताइस साल लगाए ।

31 साल बीतने के बाद भी…..

वही आज भारत के लोकतंत्र पर लगे इस जख्म को 31 साल हो गए है, कुछ लोगो के लिए  यह जख्म है तो कुछ लोगो के लिए यह दिन खुशी का बन गया है ,खुश होने वाले लोगो का मानना है की यहा राम लला का जन्म हुआ था,इसी लिए बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया था वही कुछ लोग इस दिन को एक काले अध्याय से जोड़ते है।तो कुछ इस मामले में हमेशा खामोश रहे और हमेशा 2 जून की रोटी, भूख व रोजगार की बात करते रहे,हिंदू हो या मुस्लिम अधिकतर इस मुद्दे पर शांति का हल चाहते थे जिसे कोर्ट ने आस्था के आधार पर 2019 में हल किया, हालाकि कोर्ट को छानबीन में कोई भी ऐसे अवशेष या सबूत नहीं मिले जिससे राम मंदिर का साक्ष्य जुड़ा हो या यह बात साबित हो सके की वास्तव में यही श्री राम का जन्म हुआ था,लेकिन न्यायालय ने यहा राम मंदिर बनाने के आदेश दिए साथ ही मुस्लिम समाज को भी जमीन का एक टुकड़ा दिया। फिलहाल तो इतिहास में बाबरी मस्जिद और राम मंदिर मुद्दा हल  हो चुका है लेकिन आज भी एक बडी आबादी के लिए 6 दिसंबर का दिन किसी काले अध्याय से कम नहीं है।

सियासी बयान बाजों का खत्म हो चुका वजूद

सियासत और जनता में  अपना वजूद बनाने के लिए कुछ सियासी नेता हमेशा भड़काऊ बयान बाजी करते आए है,कोई राम मंदिर बनाने को लेकर तो कोई बाबरी मस्जिद को तोड़ने को लेकर,सियासत ने राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर हमेशा दम भरा और सियासत कामयाब भी हुई , लेकिन सियासी बयान बाजों का सियासी वजूद भी मिट गया, राम मंदिर आंदोलन  के सबसे बड़े  जनक के रूप में उभरे भाजपा में  उस समय के सबसे बड़े नेता लाल कृष्ण आडवाणी जो आज भी सब के बीच है उनका सियासी वजूद क्या रहा यह सब को पता है आए  दिन बड़े बड़े बयान देकर वह सुर्खियों में रहे लेकिन सियासत के खेल में उनका ही भविष्य शिकार बन गया और राम मंदिर मुद्दे का फायदा किसी और को मिल गया,इतिहास में ऐसे कई उदहारण है जिसमे सियासी और भड़काऊ बयान बाजी करने वालों का खुद का ही। वजूद मिट गया।

न्यायालय के फैसले पर  जनता ने जताया था विश्वास

 2019 में जब बाबरी मस्जिद और राम मंदिर मुद्दे का फैसला न्यायालय से आ रहा था तो उसे समय भी जनता ने साफ कहा था कि वह न्यायालय के फैसले पर विश्वास करेंगे चाहे यहां पर मस्जिद रहे या फिर राम मंदिर बने देश में सभी शांति से रहेंगे।  लोगों का कहना था कि जिस मुद्दे ने 27 साल तक जख्म दिया और अब ऐसे जख्म का भरना बहुत जरूरी है। आने वाली नस्ल मंदिर और मस्जिद के मसले पर ना लड़े इसीलिए  न्यायालय के फैसले पर ही सभी ने विश्वास जताया । कोर्ट ने मंदिर के हक में फैसला सुनाया जिसके बाद मुस्लिम समाज के लोगों ने भी राहत की सांस ली थी और कहा था कि आखिरकार यह मुद्दा खत्म हुआ। हिंदू समाज के लोगों ने भी इस मसले पर अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया दी, इस मुद्दे पर अधिकतर मुस्लिम और हिंदू समाज के लोगों का कहना है अब लड़ाई दंगा नहीं बल्कि उन्हें रोजगार तरक्की और शान्ति चाहिए और आने वाली नस्लों के लिए एक खूबसूरत कल का आगाज।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here