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अरविंद केजरीवाल ने इलाज के लिए सुप्रीम कोर्ट से सात दिन का और वक्त मांगा

Shah Times

ईडी के पास गिरफ्तारी के सही बुनियाद नहीं हैं. सिर्फ संदेह के आधार पर दिल्ली के चीफ मिनिस्टर अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है

नई दिल्ली, (Shah Times) दिल्ली के चीफ मिनिस्टर अरविंद केजरीवाल इलाज कराने के लिये सुप्रीम कोर्ट से 7 दिन की मोहलत मांगी है,तर्क ये कि गिरफ़्तारी के बाद केजरीवाल का वज़न 7 किलो घट गया है। केजरीवाल की ओर से अंतरिम बेल 7 दिन बढ़ाने के लिये SC में याचिका दाखिल की गई है,केजरीवाल का कीटोन लेवल बहुत बढ़ गया है ये किसी गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं।मैक्स अस्पताल के डॉक्टरों ने जाँच की है।याचिका में कहा गया है कि केजरीवाल को PET-CT स्कैन और कई टेस्ट करवाने की ज़रूरत है।इस लिये अंतरिम बेल 7 दिन और बढ़ा दी जाए,जाँच करवाने के लिए केजरीवाल ने 7 दिन माँगे हैं।

बता दें कि दिल्ली के चीफ मिनिस्टर अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद उन्हें 10 मई को मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी. वह लगभग 51 दिनों तक दिल्ली की तिहाड़ जेल में थे।जेल में केजरीवाल का वजन 7 किलो कम हो गया थाइस दौरान उनका 7 किलो वजन भी घट गया। ऐसे में जमानत मिल जाने के बाद केजरीवाल ने अपना हेल्थ चेकअप कराया।स्वास्थ्य जांच में सामने आया है कि दिल्ली के चीफ मिनिस्टर अरविंद केजरीवाल का कीटोन लेवल काफी ऊंचा है। वह मैक्स के डॉक्टरों से जांच करा रहे हैं। केजरीवाल को PET-CT स्कैन कराने के लिए भी कहा गया है।

इस वजह से केजरीवाल ने अपने हेल्थ चेकअप के लिए सुप्रीम कोर्ट 7 दिनों तक जमानत बढ़ाए जाने की मांग की है।दिल्ली के चीफ मिनिस्टर अरविंद केजरीवाल के वकील अमित देसाई ने सुप्रीम कोर्ट में लिखित जवाब दाखिल किया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए कहा है कि ईडी के पास गिरफ्तारी के सही बुनियाद नहीं हैं। सिर्फ संदेह के आधार पर दिल्ली के चीफ मिनिस्टर अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है. पीएमएलए में गिरफ्तारी के मानक तय हैं, जो ईडी द्वारा अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय नहीं निभाए गए।

उन्होंने लिखा, धारा 19 के तहत गिरफ्तारी केवल धारणाओं, अनुमानों, अटकलों पर आधारित नहीं हो सकती है। ऐसी सामग्री होना जरूरी है, जिसका स्पष्ट आधार हो‌. केवल संदेह के आधार पर गिरफ्तारी वैध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है और पक्षों को लिखित दलीलें दाखिल करने की छूट दी थी।

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