Aditya-L1: अब सूर्य पर ISRO की नज़र,खुलेंगे सूर्य के कई राज

Aditya L1

Report by – Anuradha Singh

ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization)(इसरो) (ISRO)ने अपने अगले महत्वाकांक्षी मिशन, आदित्य-एल1 (Aditya-L1) पर एक अपडेट साझा किया है। यह सूर्य का अध्ययन करने वाली भारत की पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है। मिशन 26 अगस्त को पीएसएलवी-एक्सएल लॉन्च (PSLV-XL Launch) वाहन पर लॉन्च होने वाला है।

इसरो ने आदित्य-एल1 (Aditya-L1) उपग्रह की पहली तस्वीरें साझा की हैं। उपग्रह को यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (UR Rao Satellite Center)(यूआरएससी), बेंगलुरु (Bengaluru) में विकसित किया गया था जो अब एसडीएससी-एसएचएआर(SDSC-SHAR), श्रीहरिकोटा (Sriharikota)में पहुंच गया है।

आदित्य एल1 (Aditya-L1) सौर वातावरण (Solar Atmospeher) का अध्ययन करने के लिए एक नियोजित कोरोनोग्राफ (Coronograph) अंतरिक्ष यान है, जिसे वर्तमान में इसरो और विभिन्न अन्य भारतीय अनुसंधान संस्थानों (Indian Research Institutes) द्वारा डिजाइन और विकसित किया जा रहा है।

इसे पृथ्वी (Earth)और सूर्य (sun) के बीच L1 बिंदु के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा जहां यह सौर वातावरण, सौर चुंबकीय तूफान और पृथ्वी के आसपास के वातावरण पर उनके प्रभाव का अध्ययन करेगा।

Shah Times Dehradun  14   August 23 E-PAPER 

क्या है आदित्य एल1 मिशन (Aditya-L1) Mission?

आदित्य एल1(Aditya-L1) भारत का पहला अंतरिक्ष-आधारित मिशन (Space based mission) है जो सूर्य का अध्ययन करने के लिए समर्पित है। अंतरिक्ष यान पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर, सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थित होगा। यह अनूठी स्थिति उपग्रह को ग्रहण जैसे किसी भी रुकावट के बिना लगातार सूर्य का निरीक्षण करने की अनुमति देती है।

L1 बिंदु एक बड़ा लाभ प्रदान करता है क्योंकि यह बिना किसी ग्रहण या ग्रहण के सूर्य(Sun) के निरंतर अवलोकन की अनुमति देता है। यह निरंतर दृश्य सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव की वास्तविक समय पर निगरानी करने में सक्षम बनाता है।

आदित्य-एल1(Aditya-L1) मिशन के मुख्य वैज्ञानिक लक्ष्यों में क्रोमोस्फीयर और कोरोना सहित सूर्य के ऊपरी वायुमंडल की गतिशीलता का अध्ययन करना, क्रोमोस्फेरिक (Chromospehric)और कोरोनल हीटिंग (Coronal heating)की जांच करना, आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी और कोरोनल मास इजेक्शन और फ्लेयर्स की शुरुआत शामिल है।

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