वाशिंगटन के वैज्ञानिक इन दिनों बुदबुदाते लावा क्षेत्रों और एलिजाबेथ येलोस्टोन जैसी विशाल सुपर ज्वालामुखी से ज्यादा माउंट रेनियर को लेकर डरे हुए हैं।
Washington,(Shah Times) । अमेरिका में एक हजार साल से शांत ज्वालामुखी से अमेरिकी वैज्ञानिक बेहद परेशान नजर आ रहे हैं। दरअसल वाशिंगटन के वैज्ञानिक इन दिनों बुदबुदाते लावा क्षेत्रों और एलिजाबेथ येलोस्टोन जैसी विशाल सुपर ज्वालामुखी से ज्यादा माउंट रेनियर को लेकर डरे हुए हैं।
आपको बता दें कि वाशिंगटन में समुद्र तल से महज 4.3 किलोमीटर ऊपर बर्फ से ढकी पहाडियों में माउंट रेनियर स्थित है। जो पिछले एक हजार साल से बिल्कुल शांत है और उसमे कोई भी ज्वालामुखी विस्फोट नहीं हुआ है। इसके बावजूद अमेरिकी वैज्ञानिक इस माउंट रेनियर पर लगातार नजर रखे हुए है। ज्वालामुखी वैज्ञानिक जेस फीनिक्स ने सीएनएन को बताया कि माउंट रेनियर मुझे रात भर जगाए रखता है। क्योंकि यह आसपास के लोगों के लिए बहुत बड़ा खतरा बना हुआ है।
जेस फीनिक्स ने जानकारी देते हुए बताया कि इस सोए हुए विशाल ज्वालामुखी से निकलने वाले लावा से किसी को कोई नुकसान नहीं है, लेकिन अमेरिकी भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार इससे निकलने वाला लावा हवा के साथ आबादी से दूर के क्षेत्रों में तरफ बिखर जाएगा। जिससे गर्म लावा के बर्फ पर गिरने से बर्फ पिघलने लगेगी और बड़े-बड़े बर्फ के पहाड़ खिसकने लगेंगे। इससे नीचे की तरफ रहने वाली आबादी तबाह हो सकती है। बर्फ पिघलने के बाद नीचे के क्षेत्रों में बाढ़ भी आ सकती है।इस खतरे को देखते हुए कई वैज्ञानिक बहुत चिंतित हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है की इस क्षेत्र में हजारों की संख्या में लोग रहते हैं। जब यह घटना होती है तो इसकी रफ्तार इतनी तेज होती है कि स्थिति को काबू करना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थित को लाहार कहा जाता है, जिसका मलबा काफी तेजी से बढ़ता है। आपकोबता दे की सबसे भयानक लाहार साल 1985 में हुआ था। यह कोलंबिया के नेवाडो डेल रुइज ज्वालामुखी में विस्फोट होने के बाद आया था। ज्वालामुखी फटने के कुछ घंटों में ही पानी, बर्फ और मिट्टी का सैलाब आ गया था, जिससे आर्मेरो शहर में बड़ी तबाही का मंजर देखने को मिला था। इस प्राकृतिक आपदा में करीब 23 हजार लोग मारे गए थे।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पृथ्वी और पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर और ज्वालामुखी वैज्ञानिक ब्रैडली पिचर ने जानकारी देते हुए बताया कि माउंट रेनियर क्षेत्र में ग्लेशियर और बर्फ की मात्रा नेवाडो डेल रुइज की तुलना में आठ गुना ज्यादा है। ऐसे में माउंट रेनियर में विस्फोट बहुत ज्यादा विनाशकारी हो सकता है। भूवैज्ञानिकों को माउंट रेनियर में कम से कम 11 बार बड़े लाहर के सबूत मिले हैं, जो बीते 6 हजार सालों में हुए हैं। इन्हें पुगेट लोलैंड्स के नाम से भी जाना जाता है। एक्सपर्ट का कहना है कि इस ज्वालामुखी में दोबारा ऐसा करने की शक्ति है। यदि ऐसा हुआ तो बड़ी ताबाही देखने को मिलेगी।